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    इतिहास

    विश्व के मानचित्र में जनपद गोण्डा 26.41 से 27.51 डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 81.30 से 82.06 पूर्वी देशान्तर के मध्य में अवस्थित है। जनपद का कुल क्षेत्रफल 4003 वर्ग कि0मी0 है जो देवीपाटन मण्डल के कुल क्षेत्रफल का 28.13 प्रतिशत है। इस जनपद में 04 तहसीलें गोण्डा, मनकापुर, करनैलगंज एवं तरबगंज है।

    गोंडा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। गोंडा जिला मुख्यालय है, और देवीपाटन मंडल का प्रशासनिक केंद्र भी है। गोंडा उत्तर में श्रावस्ती जिले, उत्तर पूर्व में बलरामपुर और सिद्धार्थनगर जिलों,उत्तर पश्चिम में बहराईच जिले, पूर्व में बस्ती जिले, दक्षिण में फैजाबाद जिले, दक्षिण पश्चिम में बारा बांकी जिले से घिरा है।

    जनपद अपने एतिहासिक गौरव को संजोये हुये है। भारत की स्वतंत्रता आन्दोलन में यह जनपद अग्रहणी रहा है। यहाँ के राजा देवीबक्श सिंह एक वीर योद्धा व देशभक्त राजा थे जिन्हों स्वतंत्रता आन्दोलन में अंग्रेजों के साथ लड़ते-लड़ते अपने जीवन को एवं अपने परिवार को न्योछावर कर दिया। उनका बनवाया हुआ सागर तालाब आज भी नगर की शोभा बड़ा रहा है।
    जनपद में घाघरा, सरयू एवं कुआनो तीन प्रवाहिनी नदियाँ हैं। इसके अतिरिक्त बिसुही, मनवर व टेढ़ी मौसमी नदियाँ हैं। घाघरा नदी जनपद की दक्षिणी सीमा बनाती हुयी पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। सरयू नदी जनपद के दक्षिण पश्चिम दिशा से विकास खण्ड करनैगंज में प्रवेश करती हुयी पसका के पास घाघरा नदी में मिल जाती है।

    जनपद में बाराही देवी, खैराभवानी तथा शंकर जी दःखुहरन नाथ एवं पृथ्वीनाथ मंदिर अपनी धरोहर दीर्घकाल से संजोये हुये है।वशिष्ठ ऋषि का आश्रम इसी क्षेत्र में था। अयोध्या के नजदीक होने के कारण ऋषि मुनियों का आवागमन एवं तप करने का स्थान यह क्षेत्र रहा है।

    जनपद गोण्डा के एतिहासिक रूप में स्वामीनारायण छपिया मंदिर अपने भव्यता एवं सुन्दरता हेतु प्रसिद्घ है। भगवान स्वामीनारायण का जन्म 1781 में उत्तर प्रदेश के छपिया में घनश्याम पांडे के रूप में हुआ था। 1792 में, उन्होंने नीलकंठ वर्णी नाम को अपनाते हुए, 11 वर्ष की आयु में भारत भर में सात साल की तीर्थ यात्रा शुरू की।